सावन के झूले
सुपर्वों में भले ही अब, खुशी से हम सभी फूले।
नहीं है याद सावन की, ये कजरी गीत भी भूले।
बहे पुरवा पवन मद्धम,पड़े रिमझिम फुहारें भी-
मगर दिखते नहीं हमको,कहीं सावन के ये झूले।
सुपर्वों में भले ही अब, खुशी से हम सभी फूले।
नहीं है याद सावन की, ये कजरी गीत भी भूले।
बहे पुरवा पवन मद्धम,पड़े रिमझिम फुहारें भी-
मगर दिखते नहीं हमको,कहीं सावन के ये झूले।