सावन की बरसात
सावन की बरसात
मेघ करें गड़-गड़|
स्याम रंग बदली से
बूंद गिरें झम- झम|
कामरूप पुरवा भी
नृत्य करे छम-छम|
हरित अंग फसलों के
ईख करे सर-सर|
सावन की बरसात
मेघ करें गड़-गड़|
पियना तलैया की
लहर बहे कल-कल|
आंगन मे तुलसी का
पौध बढे़ पल-पल|
सावन की बरसात
मेघ करें गड़-गड़|
डम्मर किसनवां की
छत भी चुये टप-टप
मल्लू की झोपड़ मे
बाढ़ करे कल-रव|
सावन की बरसात
मेंघ करें गड़-गड़|
गोवरा प्रधनवा
कुकृत्य करे हंस-हंस|
मदिरा नशे मे वो
रोज करे बड़-बड़|
सावन की बरसात
मेघ करें गड़-गड़|
रचयिता
रमेश त्रिवेदी
कवि एवं कहानीकार