सावन का महीना,अब्दुल्ला करे शोर —आर के रस्तोगी
सावन का महीना,अब्दुल्ला करे शोर |
महबूबा ऐसे काँपे,जैसे कैद में काँपे चोर ||
मोदी शाह तुमने,ऐसा गजब है ढायो,
370 को पास कराने में जरा न वक्त लगायो |
हम तो पड़े चारो खाने चित्त,कुछ न कर पायो,
भागने के लिये अपना सामान भी बाँध न पायो |
पड़ी है बड़ी मुश्किल,घर में हो रहे है बोर,
सावन का महीना,उमर करे शोर |
महबूबा ऐस काँपे,जैसे कैद में काँपे चोर ||
छीन लिये है,कोठी बँगले भी हमारे,
दर दर की ठोकरे,खाते फिरते मारे मारे |
पाक भी हमे आज,ठेंगा दिखा रहा,
वो भी अब,हमे नहीं है बुला रहा|
अब तो नहीं चल रहा,बस किसी ओर,
सावन का महीना,फारुख करे शोर |
महबूबा ऐसे नाचे,जैसे पुलिस के आगे चोर ||
अल्लाह ! ये कैसी मुसीबत है आई ,
मै तो चहेतों से,मिलने भी न पाई |
मीडिया के आगे भी न बोल पा रही,
अपनी व्यथा किसी को न सुना पा रही|
पता नहीं,मेरा मुकद्दर ले जायेगा किस ओर ?
सावन का महीना,फारुख करे शोर,
महबूबा ऐसे नाचे,जैसे पुलिस के आगे चोर ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)