“सावन का महिना और रेन बसरे”
राहुल आरेज
“सावन का महिना और रेन बसरे”
लिखने बैठ गय सावन के बादलोँ को बरसते देख कर,
लिखू कुछ ऐसा जो दिल को सूकून दे, पर मैँ लिख न सका,
और फिर दिल मे ख्याल आया उनका जो वैठे है बिना रैन बसेरो के,
अभी-अभी बरसात के आगमन से
पहले आया था एक बडा नेता कह गया की,
रेन मे बसेरा करने वालो का हक कोई छिन नही सकता ,
वे रेन मे ही बसेरा करेगे,
ये सब सुनकर बडा सुख मिल ा
और हम व्यंग्य पूर्ण सहमती से बोले
चलो कोई तो है इनके हक मे लडने वाला।