सावन आया
सावन आया
आओ करें सब मिल कर स्वागत,
सबका मनभावन सावन आया।
सूखी धरती सूखी झीलें,
ग्राम कूप भी खाली हैं।
पतझड़ में पत्ते पीले से,
सूखी सूखी सी डाली हैं।
ग्रीष्म ऋतू से आकुल अवनि के,
शुष्क अधर भिगोने आया।
आओ करें सब मिल कर स्वागत,
सबका मनभावन सावन आया।
धूल-धूसरित पथ हैं सारे,
घर आँगन भी मैला है।
साँस लेना भी हुआ है मुश्किल,
धुयाँ हर तरफ फैला है।
महक मलय मधुर मनमोहक,
श्वासों में अपनी भर लाया।
आओ करें सब मिल कर स्वागत,
सबका मनभावन सावन आया।
विरह-ज्वर की ज्वाला भीषण,
मन का ताप बढाती है।
कब आएंगे प्रियतम मेरे,
बस अनुमान लगाती है।
मेघदूत बन इस विरहन को
प्रेम भरा संदेशा लाया।
आओ करें सब मिल कर स्वागत,
सबका मनभावन सावन आया।
शिव आरम्भ-अंत सृष्टि का,
शिव ही सत्य-सुन्दर है।
आदि शिव अनंत शिव,
शिव ही बाहर-अंदर है।
तीनों लोक के स्वामी हैं वो,
हम सबको याद दिलाने आया।
आओ करें सब मिल कर स्वागत,
सबका मनभावन सावन आया।
स्वरचित – विवेक अग्रवाल ‘अवि’