सावन आया हरा भरा
सावन आया हरा -भरा
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सावन आया शिव की पूजा,नित मंदिर में होती।
भोले नाथ की भक्ति,मनको पावन करती ।।
सावन के आते ही, हरियाली छा जाती
दादुर, झिंगुर,टेर लगाते, कोयल कुहू -कुहू करती ।
पेड़ों पर झूले पड़ जाते,मिल जुल सखियां झूलें।
गाती मेघ मल्हार सब,बारी-बारी झूला झूले।।
मेघ बरसते झम -झम, करते सावन के,
तरूओं से छम -छम , गिरती बूंदें
छन के।
मौसम रूप बदलता अपना, चुनरी खिसकी जाए।
बदरा बैरी गरजे जोरों, बिजुरी होश उड़ाए।।
मोरे सांवरिया जो ना आए, मुश्किल होगा जीना।
विरहन को घुट-घुट मरने से पहले,
जहर पड़ेगा पीना।।
पावस की रात अंधेरी,घन बरसे
जोरों से।
वर्षा मन की पीर बढ़ाए, बूंदें लगती शूल जैसे।।
सब सखियां हम मिलकर, हाथों में मेहंदी रचाती।
कर सोलह श्रृंगार सखियां, प्यारे प्रीतम को रिझाती।।
पहन हाथों में चूड़ियां हरी-हरी,सावन में खुशियां भरती।
धरा हो रही पल्लवित, जीवन में हरियाली करती।।
हृदय प्रफुल्लित हो रहा,देख धरा का रूप।
ऐसा लगता है जैसे,धरा पर आ ग ए सुरभूप।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,