सावधान!सावधान!
सावधान!सावधान!
??दोहे??
अपनो से है प्रीत यदि , जागें भारत लोग।
प्रतिदिन बढ़ता जा रहा , कोरोना का रोग।।
नियम तोड़ कुछ घूमते , लोग बड़े बेशर्म।
संकट सारे देश पर , समझे ना वो मर्म।।
लापरवाही यूँ रही , होगा सकल विनाश।
बोझिल होगी ये धरा , रोयेगा आकाश।।
मास्क़ लगाए राखिए , मुँह पर अपने आप।
रखिए दूरी भीड़ से , करो स्वच्छता जाप।।
रहो आइसोलेट तुम , सेनेटाज़र योग।
कोरोना की काट है , करना मास्क़ प्रयोग।।
प्रीतम संकट की घड़ी , समझो क्षण का मोल।
तेरा मेरा ही नहीं , जीवन हर अनमोल।।
प्रीतम हँसके मानिए , सरकारी आदेश।
सावधान गर सब रहे , तभी बचेगा देश।।
?आर.एस.प्रीतम?