साल यह
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साल यह कपाल पर
न जाने
क्या लिखाके आयेगा !
क्या पता यह दृश्य कौन
परिदृश्य कौन
विश्व को दिखायेगा?
भय से निर्भय,अजय से जय दे
दग्धता से कर हमें विमुक्त देगा।
ज्ञान नव,विज्ञान नव,प्रयोग नव
दे हमें
विशालता से कर हमें युक्त देगा।
निर्विचार से विचार,अविवेक से विवेक
दे हमें कृतार्थ करके जायगा।
विश्व के विहान को
भव्यता से,दिव्यता से दीप्त करके
प्राणवान कर हमें यथार्थ करके जायगा।
साल यह कपाल के विशाल भाल पर
हमारे भाल का शौर्य व सौन्दर्य
संकल्प,धैर्य का बड़ा सम्मान लेके आयेगा।
साल यह इस काल के खंड पर
असत्यता से हिंस्रता से जूझने की शक्ति
हमें
उदारता से दान देके जायेगा।
साल यह जीवंत हो शत्रुता का अंत हो
सुख,समृद्धि,हर्ष और उत्कर्ष-वृद्धि
वर्ष में अनन्त हो,अनन्त हो।
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