साल के आखरी महीने में चंद लाईने
साल के आखरी महीने में चंद लाईने
जिंदगी से हर पल, एक सिख मिली,
कभी कभी नहीं, हर रोज मिली,
एक अच्छा गुरु मांगा था जिन्दगी से,
पर मुझे तो यहाँ, पूरी विद्वानों की फौज मिली,
हमारा मंच कोई वाशिंग पाउडर नहीं है, जो,
पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करे,
हमारा मंच तो जीवन बीमा है,
“जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी”
मुझे नही पता, कि, मैं एक बेहतरीन कवि हूँ, या नही,
लेकिन मैं जिस पटल पर हूँ, उसके सारे सदस्य बहुत बेहतरीन कवि हैं।
____✍ कवि प्रवीण प्रजापति “प्रखर”