साल का हिसाब
दिन गये महीने गये, गया पूरा साल
सोचते रहे हर प्राब्लम हो जायेंगे सब साल्व
देखा जब तिरछी निगाहों से रह गये बहुत से अनसाल्व
कोई नही फिक्र कैसी फिर जमा पूरे हमारे तीन सौ साठ
आप पूछेंगे पांच गये कहाँ जनाब , दिल थाम के रहिये
हिसाब उसका भी कर रखा है चार दिन की जिंदगी एक प्रभु के नाम कर रखा है
इससे बचे रहे तो सब पर लगाइए हिसाब तीन सौ साठ
उसमें भी न रखिये मन में कोई गांठ, कब आप उसको अच्छे लग जाये
बनी हुई गांठो के खुलने से पहले ही अलविदा कह जाये
सभी शिकवे शिकायत धरे के धरे रह जाये, कुछ कहे -कुछ न कह पाये
बस अपनी यादों को औरों के हवाले कर रूखसत कर जाये
ऐसा न हो हम केवल मैं बनकर रह जाये, ऐसा कुछ न कर जाये
कुछ ऐसा कर जा ये बंदे मै न रह कर तू सबका बन जाये
अपनी पहचान बना सबके दिल में बस जा तू
तू न भी रहे तो तेरे रहने का एहसास रह जाये
ऐसा कुछ कर जा बंदे, तेरे हर काम का नाम रह जाये