सार छंद
आई है बरसात जोर की, उमड़ घुमड़ कर साथी !
नाच रहे हैं मोर साथ में ,…….. नाच रहे हैं हाथी !
अमुआ की डाली पर कोयल, झूम झूम कर गाए !
देख नजारा उपवन का ये,……. माली भी हर्षाए !!
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पेड़ उम्र भर कभी आपने , नहीं एक भी सींचा !
मगर टहलने की ख़ातिर सब , चाहें मित्र बगीचा !
खाते है ये कसम आज से, जंगल हमें बचाना !
पेड़ लगाओ नया साल हर, गीत यही अब गाना !!
रमेश शर्मा.