सार्थक वार्ता
समझौता वार्ता है
हर समस्या का
समाधान
सकारात्मक दृष्टिकोण
से करो वार्ता
चाहे बात देश की हो
या परिवार की
जब टूटता है
आपसी सामंजस्य
वैचारिक मतभेद
उभरने लगते है इसलिए
वार्ता सीधे
अपनों से करो
बीच वाले तो
बिगाड़ देते है बात सदा
पति पत्नी की वार्ता
होती है मजेदार
एक की दो पर
चलती है धार सदा
झुकने नही कोई
होता तैयार
वार्ता बनती
हथियार सदा
माँ बाप से
बच्चे करें वार्ता
उनका बांटे दुःख दर्द
कार्यालयों में चलती
बैठक वार्ताओ की
नतीजा निकले तो ठीक
नहीं तो फिर
अगली वार्ता पर होती
माथापच्ची
वार्ता पर सोच सही हो
तब ही होती सार्थक वार्ता