सार्थक जीवन
छोटी-छोटी बातों को नाहक बड़ा न करो।
यह जीवन छोटा है उलझनों को बड़ा न करो।
क्या तेरा क्या मेरा सब माया का है फेरा।
जो भी इसमें पड़ा उसको दुःखों ने है घेरा।
तुम ना समझ पाओगे कभी औरों के दुःख बाँटने का अर्थ।
जीवन भर स्वार्थ सिद्धि में लगे रहोगे और बनाओगे अपना जीवन व्यर्थ।
क्रोध व अहंकार में डूबे अपने कृत्यों से औरों को त्रस्त करोगे।
फंसोगे अपने ही निर्मित चक्रव्यूह में दुःख संतप्त रहोगे।
अब भी देर नही त्याग स्वार्थ उत्प्रेरित करो सद्भाव मनस में।
सार्थक कर दो अपना यह अमूल्य मानव जीवन इस जगत में।