सारे ही चेहरे कातिल हैं।
सारे ही चेहरे कातिल है।
हम जाए तो जाए कहां।।1।।
ऐ खुदा अब तू ही बता।
मुझको खुशियों का पता।।2।।
कहीं हासिल ना सुकूं है।
नफरत फैली है बेपनाह।।3।।
हर शू ही धुंआ धुंआ है।
उजड़ी है सारी बस्तियां।।4।।
अदब ए निशां बचे ना।
मिट गई शहरे हस्तियां।।5।।
यूं जमीं को मैला किया।
अब रो रहा है आसमां।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ