सारी सीढ़ियाॅं चढ़ जाऊंगा !
सारी सीढ़ियाॅं चढ़ जाऊंगा !
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चाहे जितनी भी सीढ़ियाॅं हों,
झट से ही चढ़ जाऊंगा !
इक पल भी ना गवाऊंगा !
कोई सामने आकर रोकना चाहे….
तो राह से उसे हटाऊंगा !
सारी सीढ़ियाॅं चढ़ जाऊंगा !!
मंज़िल चाहे कितनी भी ऊंची हों….
चढ़ने में तनिक भी देर ना लगाऊंगा !
चाहे पाॅंव में कितनी भी ठोकरें लगे ,
जर्जर पाॅंव से ही चढ़ जाऊंगा !
चाहे और कुछ भी बाधाएं आ जाए ,
उसे भी बेरोकटोक पार कर जाऊंगा !
सारी सीढ़ियां चढ़ जाऊंगा !!
बस, हिम्मत व हौसला बनाए रखना है !
बाधाओं से ना कभी घबराना है !
थोड़ी-बहुत बाधाएं गर आ भी जाए….
तो दृढ़तापूर्वक मुकाबला कर जाना है !
आत्मविश्वास अपना ना कभी डिग पाए….
सदैव इसका भी ध्यान रखते जाना है !
लगन व मेहनत से क्या कुछ हासिल नहीं होती….
बस, इन्हीं बातों को ध्यान में रख आगे बढ़ जाना है !
मंज़िल कितनी दूर है इन बातों से नहीं घबराना है !
बस, कदम-दर-कदम सीढ़ियाॅं चढ़ते जाना है !
एक समय मंज़िल खुद सामने आ जाएगी !
वो खुद ही खुद को अपनाने को कहेगी !
तब उसे खुले दिल से सहर्ष गले लगाना है !
सारी सीढ़ियाॅं तो अब चढ़ ही चुके हैं !
आगे की राह फिर से रौशन करते जाना है !
बिना पीछे मुड़े बस, सीढ़ियाॅं चढ़ते ही जाना है !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 17-08-2021.
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