सारी उपमा
सारी उपमा
पस्त हो गई
तुमको किस उपमा से जोडूं
प्रिय मुझे तुम
खुद से ज्यादा
कभी तुम्हारा साथ न छोडूं
तुम दीपक से
अंधकार में
हो औषध
मन के विकार में
तुम शीतलता
ताप भूमि में
तुम उपवन से
मरुभूमि में
तिलक लगाएं
विजय तुम्हारे
दशो दिशाएं
तुम्हे पुकारे
पांव पखारे
रस्ते सम्मुख
शूल मिटाए
चेहरा हंसमुख
खिलता तुमको देख के सावन
तुम हो चंदा
तुम मनभावन
Priya ✍️