सारा नशा उसका उतर गया होगा ।
सारा नशा उस का उतर गया होगा ।
जब वो किसी और के घर गया होगा ।।
हर कोई माफ़ नहीं करता नादानी ।
मुमकिन है वो अब सुधर गया होगा ।।
वादियों ने नाम से पुकारा होगा ।
गर भूल से भी वो उधर गया होगा ।।
जो बेकसूर था मगर खामोश रहा ।
वो अन्दर से कितना मर गया होगा ।।
ये निशां बाकी तो ताउम्र रहेगा ।
वक्त से उनका ज़ख्म भर गया होगा ।।
अपना होना इक दिखावा था ‘सागर’ ।
वादों से अगर वो मुकर गया होगा ।।
-सुरेन्द्र ‘सागर’