सायली छंद
सायली छंद
चाँद
1
मेरे
चाँद के
टुकड़े टुकड़े कर
मुस्कुराता है
बेदर्दी।
2
चाँद
कल निकला
छत जगमग हुआ
अमावस भी
हैरान।
3
चाँद
तुम्हारा चेहरा
दोनों एक से
क्या है
रिश्ता।
4
चाँद
भूखे पेट
चलता रहता है
रात भर
अकेला।
5
रोटी
मुनिया की
लगती है बिलकुल
चाँद जैसी
गोल।
सुशील शर्मा