सायली छंद – – –
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मेहनत
कभी भी
न जाती व्यर्थ
देती सदा
सुपरिणाम
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यदि
हो तुम
एक श्रमशील पुरुष
कदम चूमेगी
सफलता
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माँ
तेरा श्रम
करता है निर्माण
एक नागरिक
का
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सफलता
मेहनत का
ही है प्रतिफल
यह है
सर्वविदित
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श्रम
हमारा कर्म
होगा क्या अंजाम
यह बताएगा
भविष्य
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रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान)
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
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