सायरी ये शाम।
सायरी ये शाम।
मेरे इश्क की इंतहा तो देखो।।
आज भी हम बेंच पे पीछे ही बैठते है सायद आगे वो आ जाये।।
वो आज भी कमाल करते है।।
हम आज भी फ़टी चर है और वो कड़क रुमाल रखते है।।
वो मेरी जिंदगी में आके ऐसे गये,
जैसे की वो धाग हो और हम सर्फ़ एक्सल एक्सपर्ट।।
में उसके नाम को भी अपना बना लेता,
मगर मेरा नाम बदनाम हो जाता मुन्नी की तरहा।।
आज आँखों में वो नूर नजर आता है।।
जिसके हम कभी मालिक थे आज वो खुद हुजूर नजर आता है।।
वो मुक्तसर और हम मुहाफिज थे नजर में उसकी आज भी वो गुरूर नजर आता है।
मैं आज भी उसका नाम लवो पे लाता नहीं ।।
क्योकि राज को राज रखना उसने मुँह पे हाथ रख के कहा था।।।
आपके आने से मेरे आइने के दिन बदल गए।।
वरना बोर हो गया था बेचारे रोज सिर्फ हमें देखकर।।
मानक लाल मनु।।