*साम्ब षट्पदी—*
साम्ब षट्पदी—
14/11/2024
(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत
विकलांग।
अभिशाप नहीं,
ईश्वर का नया स्वांग।।
वंदित मन दर्शन कर।
तुझे देखने आया है धरा पर
वो प्यारा लीलापुरुषोत्तम लीलाधर।।
(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत
ये छलांग।
समय की मांग।।
सीता अन्वेषण हेतु
बनना था राम धर्म केतु।।
अपना जीवन कृत कृत्य किया।
राम काज जब करने का प्रण लिया।।
(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत
दो फलांग।
जीवन के क्षण।
व्यर्थ ही मत जाने दो,
समय का कोई मोती कण।।
बुद्धिमान ही समझ सकता है,
जिसने उपयोग कर लिया सर्वांग।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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