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30 Oct 2024 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी—*

साम्ब षट्पदी—
30/10/2024

(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत

चमकीला।
बनो ध्रुवतारा,
कार्य हो ऐसा गर्वीला।।
सामान्य नहीं बनो विशेष।
तुम्हें शीघ्र देखने को आतुर हों,
विधाता यहाँ आये बदलकर वेष।।

(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत

रासलीला।
रे मन रंगीला।।
यथार्थ जीवन जान।
विलग बनाओ पहचान।।
कर्मक्षेत्र में रहो संघर्षरत।
सदैव विजयी ही होने की डालो लत।।

(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत

पथरीला।
पथ मत छोड़ो।
यहीं खजाने छुपे हैं,
जी जान लगाकर ये तोड़ो।।
यात्रा तभी सफल मानी जायेगी,
तू कहलायेगा खोजी मस्त सपनीला।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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