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20 Oct 2024 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी—*

साम्ब षट्पदी—
20/10/2024

(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत

रासेश्वरी।
वृषभानु लली,
तुम राज राजेश्वरी।।
मोहन की आह्लादिनी शक्ति।
प्रेम समर्पण त्याग प्रतिमूर्ति,
दे दो अब हे श्री जी से दिव्य अनुरक्ति।।

(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत

प्राणेश्वरी।
खेलें अंत्याक्षरी।।
पढ़ तू कवितावली।
मैं गाऊँ मानस दोहावली।।
तुम पढ़ना बरवै रामायण।
यूँ ही कर लेंगे हम रोज पारायण।।

(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत

मातेश्वरी।
जगतजननी।
हे कलिमलहारिणी,
शक्तिशाली हे मृगनयनी।।
भवतारिणी सर्व दुखमोचिनी,
विमल मति दे हे मातु विमलेश्वरी।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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