*साम्ब षट्पदी—*
साम्ब षट्पदी—
27/09/2024
(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत
सम्मोहन।
विद्या से हैं भरे,
करे दृश्य दोलन।।
मनोहारी सभी के लक्षण।
मानवीयता को परखते हैं ये,
तू कर रे मनुज प्रकृति का रक्षण।।
(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत
उद्यापन।
क्रिया समापन।
अभी मत कर नर।
मेहनत कर शेष पर।।
सचमुच तेरा दायित्व बड़ा है।
तू क्यों उन्मादित होकर अभी पड़ा है।।
(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत
विलोपन।
करते विलोपी।।
सुंदरता मिटाते हैं,
बनते यहाँ वही आरोपी।।
रौनकों को और भी बढ़ाते चलो,
छेड़ दो इसके लिए कोई आंदोलन।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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