” सामोद वीर हनुमान जी “
गुलाबी नगरी जयपुर से कुछ दूरी पर
एक प्यारा सा गांव नांगल भरड़ा पड़ता है
शान्त, दुर्गम, विशाल पहाड़ियों के बीच
एक चट्टान पर वीर हनुमान बसता है,
600 वर्ष पूर्व घटित हुई थी जो घटना
पूर्वजों द्वारा आज सभी को सुनाई जाती है
संत नग्नदास ने की थी यहां पर आराधना
कंटीले रास्तों से आज चढ़ाई की जाती है,
एक दिन संत को सुनाई दी थी भविष्यवाणी
गर्जना के साथ शोर फिर तेज सुना जाता है
वीर हनुमान बन कर यहां पर प्रकट होऊंगा
फिर साक्षात दर्शन बालाजी का हो जाता है,
जहां हुए दर्शन संत को वीर हनुमान जी के
उसी चट्टान को मूर्ति में फिर बदला जाता है
तभी किया नग्नदास जी ने घोर तप प्रारंभ
6 फूट ऊंची मूर्ति का अनावरण किया जाता है,
सुना है पर्दा लगाकर करते थे संत आराधना
एक बार भक्त द्वारा अनुरोध किया जाता है
मुझे भी करवा दो भगवान के दर्शन महाराज
तभी वहां नग्नदास द्वारा पर्दा हटाया जाता है,
घोर गर्जना संग तब बरस पड़ी थी मूक प्रतिमा
सुनकर बवंडर भक्त तो मूर्छित फिर हो जाता है
भेड़, बकरी, ग्वाले सभी भाग पड़े थे घरों की ओर
जब भयंकर शोर उनके कानों में सुनाई पड़ता है,
कहते हैं तभी से शुरू हुई पीठ की पूजा
दूर दूर से भक्तजन यहां आगमन करते हैं
तकरीबन 1100 सीढ़ियों की चढ़ाई कर
मन्नत मांगने सामोद पर्वत पहुंचा करते हैं,
समीप की धर्मशालाओं में ठहरते श्रद्धालु
भजन से संगत आध्यात्मिक की जाती है,
हवा में बैठकर ही करो दर्शन बालाजी के
खुशी खुशी यहां सवामणी की जाती है,
सीताराम वीर हनुमान ट्रस्ट द्वारा बना मंदिर
आजकल रोप वे की सुविधा भी दी जाती है
लड्डू जैसे हनुमान जी की पावन मूर्ती देखकर
मीनू की आखें शीतलता महसूस किया करती हैं।
Dr.Meenu Poonia jaipur