– सामाजिक होना आवश्यक है –
– सामाजिक होना आवश्यक है –
आज तक इस धरती पर ऐसा कोई आदमी नहीं हुआ , जिसकी उसके समकालीन लोगे ने निंदा या आलोचना नहीं की हो | फल वाले वृषो पर ही पत्थर फेके जाते है , कटीली झाड़ियो पर नहीं | लोगो द्वार आलोचना किया जाना आपके समक्ष सफल व्यक्तिव का प्रमाणपत्र है | आप निश्चित होकर वही करते है , जिसे आप उचित समझते है | लोक निंदा या आलोचना की परवाह बिलकुल न करते | इसलिए सफलता निश्चित है , लेकिन जीवन में सामाजिक सोशल होना भी अनिवार्य है | जो आदमी जीवन में दूसरे लोगो में रूचि नहीं दिखाता उसे जीवन में सबसे ज्यादा कठिनाई आती है , और वह दुसरो को सबसे ज्यादा मन दुःखता है | इसी तरह के आदमी ही सबसे ज्यादा सोशल जीवन में पीछे रहते है | इसलिए दुसरो के साथ वही व्यव्हार करो , जैसा तुम चाहते हो की वे आपके साथ करे | यह धारणा मत रखो की आप सब कुछ जानते है | जो यह घमंड करता है वह वास्तव में सबसे बड़ा अज्ञानी है | जीवन में प्रत्येक य्यक्ति को महत्व देना क्योकि जो अच्छे है , वे साथ दे सकते है , और जो अच्छे नहीं है वो अनुभव देते है | अच्छे – अच्छे ही को महत्व देना
उचित नहीं है | आपने जो कुछ पढ़ा है उससे खोजा है , लेकिन अपने ज्ञान से उसे सामाजिक जीवन में खोजना होता है | अपने ज्ञान को अनुभव बनाना है , अपने जैसे और बनाना है | हम विश्वास कर विश्वास
पाते है | अविश्वास कर दूसरे को अविश्वास करने का अवसर देते है | हमें दुसरो पर बिना कारण अविश्वास
संदेह को बढ़ाता है | हमें सकारात्मक होने के लिए बिना कारण किसी पर भी अविश्वास नहीं करना चाहिए |
दूसरे पर भरोसा करना चाहिए , और समझ यह भी नहीं रखना की मेरी जाती , लक्ष्मी , अधिकार , पद व
आयुष पर घमंड करना है , सभी क्षणिक है और फिर मौन रहकर ही जीवन बिताना है | हमें व्यव्हारवादी
लोगो में शामिल नहीं होना है जो हमेशा लाभ – हानि , हिसाब – किताब को देखते रहे है इसलिए व्यवहारवादी
को समाज को गिराने वाले लोग कहते है | जो लोग जिम्मेदार , ईमानदार व मेहनती होते है , उने विशेष सम्मान मिलता है , लेकिन जो सरल होते है , दुसरो के लिए करुणा भाव रखते है वे ही सच्चे होते है | आप
क्रिएशन ( रचना ) कर सकते है , पर टैलेंट ( हुनर ) सरल ह्रदय के पास होता है | जब पैसा चित्त में बस जाता
है , तब मानुष को धन के शिवा कुछ दिखाता नहीं है , पद का मोह , चित को घेर लेता है , तब मानुष पदप्रापि के लिए बावला बन जाता है | हम में कूट नीति नहीं होना चाहिए , हम अपने लिए तो महंगा से महंगा साधन उपयोग यूज करेगे लेकिन दुसरो के साथ कंजुस्ता दिखाएंगे , अपने परिवार में ही रमते रहेगे परिवार लोभ दिखाएंगे इसलिए आदर्शवादी परिणाम नहीं आते और परस्पर सहयोग की इस दुनिया में कुछ हम दूसरे लोगो को देते है तो अन्य लोग हमसे भी कुछ लेते है , लेकिन हम देने लायक न रहे , तो समझ लीजिये इस धरती पर बोझ है |
किसी अधिनिस्थ रहकर हम दुसरो का जीवन तो सुधार ले जाते लेकिन उसका क्रेडिट अधिनिस्थ को ही मिलेगा | इसलिए अपने मेहनत में से कुछ सेवा देकर या कुछ विशिस्ठ कर दिखाकर रोशन करेगे वही दिव्यता है , वही पुरुषार्थ है , नहीं तो कुत्ते – बिल्ली भी पेट पालते है | यह काम करते हुए किसी को बताने की
जरुरत भी नहीं है | सब अपने आप दीखता है , इसलिए सामाजिक होना आवश्यक है |
– राजू गजभिये
दर्शना मार्गदर्शन केंद्र , बदनावर जिला धार ( मध्यप्रदेश )