Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2020 · 4 min read

सामाजिक परिवर्तन के लिए जातिगत नामों की सख्त मनाही होनी चाहिए।

सामाजिक परिवर्तन के लिए जातिगत नामों की सख्त मनाही होनी चाहिए।

–प्रियंका सौरभ
हाल ही में अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस,आर्म्ड बटालियन,जयपुर राजस्थान ने एक पत्र अपने सभी कमांडेंट को जारी किया है जिसमें सभी बटालियन के अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि उनके सभी अधिकारी और अधीनस्थ कर्मी अपनी वर्दी, अपने ऑफिस के कमरे के बाहर या अपनी टेबल की नाम पट्टिका पर लिखे गए नाम के साथ जातिगत या गोत्रगत नाम नहीं लगाएंगे और सरकारी आदेशों में इनका प्रयोग न करके केवल अपने प्रथम नाम से पुकारे या जाने जायँगे. नाम पट्टिका पर व आदेशों और निर्देशों में पूरा स्टाफ अपना नाम व बेल्ट नंबर ही इस्तेमाल करेगा. क्या जबरदस्त आदेश आया है? वास्तव में ऐसा ही हमारे देश के हर सरकारी महकमे में और सार्वजनिक स्थानों पर होना चाहिए.

किसी भी जातिगत नाम और सार्वजनिक स्थानों पर जातिगत इश्तेहारों को पूर्णत बंद कर देना चाहिए. हम आये रोज देखते है कि अपने निजी वाहनों पर जातिगत नाम से लोग अपना प्रभाव दिखाने की जुगत में समाज में अशांति फैलाते है. लोग अपने वाहनों पर अपना नाम, जाति, संगठनों का पद नाम, विभिन्न चिन्ह, भूतपूर्व पद, गांव के नाम लिखवाकर दुरुपयोग करते हैं। यह परम्परा दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। दिनप्रतिदिन वाहन चालकों में बढ़ रही ऐसी गतिविधियों से अशांति का वातावरण पनप रहा है, जो चरम पर है। इस परपंरा से जातिवाद भी पनप रहा है। आधुनिक दौर के गीत आज जाति से प्रभावित है, जिनका बाकी तबकों पर उल्टा प्रभाव पड़ता है और वो अपने आपको हीन समझते हैं या बराबरी वाले सामाजिक तनाव पैदा करने में आगे बढ़ जाते हैं, जो हमारे देश के लिए ठीक नहीं है. आज भटकती हुई युवा पीढ़ी को सही राह दिखाने की जरूरत है और जातिगत गीत. कविता और लेखों को समाज से बाहर करने की जरूरत है .

इन सब पर भी तुरंत कानूनी शिकंजा कसना चाहिए. ऐसा करने से सरकारी विभागों के प्रति आम लोगों की सोच में जातिगत पक्षपात की भावनाओं में कमी आएगी. सभी आपस में एकजुटता से कार्य करेंगे और लोगों में विश्वश्नीयता बढ़ेगी. स्वतंत्र भारत में जाति का सामाजिक गतिविधियों के कई क्षेत्रों में प्रभाव रहा है। प्रतिनिधि राजनीतिक संस्थानों में जाति अब व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। भारतीय सेना संगठन में जाति का अपना प्रभाव रहा है. भूतकाल में जाति अपने संगठन का बहुत बड़ा हिस्सा थी, भारत को यह विरासत अंग्रेजों से मिली थी और तब से यह स्थिति बनी हुई है। हालाँकि अंग्रेजों ने सेना को पारंपरिक रूप से अलग संगठित किया और भारतीयों को अपनी सेना में भर्ती करने के प्रयास में उन्होंने मार्शल प्रतिभाओं की तलाश की, जो अलग-अलग वर्गों से आते थे।

उन्होंने कुछ जाति और धार्मिक समूहों को ‘मार्शल रेस’ के रूप में पहचाना और नामित किया, और सेना में भर्ती के लिए उन्हें दूसरों पर वरीयता दी। इन ‘मार्शल रेस’ में राजपूत, जाट, मराठा, सिख, डोगरा, गोरखा और महार थे। सेना में कुछ रेजिमेंटों के गठन में न केवल जातिगत विचार स्पष्ट थे, बल्कि सेना के कुछ अन्य पहलुओं में भी देखे गए थे उदाहरण के लिए, नाई, धोबी और सेना में सफाईकर्मी आमतौर पर नायस, धोबी और भांगियों की अपनी संबंधित जातियों से भर्ती होते थे; और कुछ मजदूरों को सेना में खड़ा किया गया था, जो ज्यादातर हरिजन थे।

इस प्रकार अंग्रेजों ने न केवल जातिगत विचारों को प्रोत्साहित किया बल्कि भारत में ‘मार्शल रेस’ के विचार को बढ़ावा दिया, और इसे ब्रिटिश भारतीय सेना के संगठन में शामिल किया, जो स्वतंत्र भारत को विरासत में मिला था। यह सवाल कि क्या ‘मार्शल रेस’ मौजूद थी? अतीत एक ऐतिहासिक है और इसलिए जवाब देने की मेरी क्षमता से परे है। लेकिन इस तथ्य का तथ्य यह है कि सैन्य, सामाजिक संरचना के किसी अन्य पहलू के रूप में, सामाजिक स्तरीकरण की प्रमुख विशेषताओं को दर्शाता है, जिस प्रकार यह शक्ति के वितरण और इसका उपयोग करने की क्षमता का निर्धारण करके सामाजिक संरचना को प्रभावित करता है।

मगर अब जातिगत पहचान खासकर सरकारी महकमों और सार्वजनिक स्थानों के जुड़े विषयों में हमें बांटने का काम कर रही है, ऐसा नहीं होना चाहिए. केंद्र सरकार को इस विषय पर बिल लाकर एक सख्त कानून बनाना चाहिए, जिसमे कोई भी सरकारी स्टाफ केवल अपने प्रथम नाम और विभागीय कोड का ही इस्तेमाल करें. जातिगत नाम की सख्त मनाही होनी चाहिए. चुनाव और सार्वजनिक कार्यों से जुड़े लोगों पर भी ये प्रतिबन्ध हो कि वो जातिगत भावनाओं को न उकसाये. सड़क सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में भी वाहनों पर लिखवाए गए विभिन्न चिन्ह, स्लोगनों की वजह से अन्य वाहन चालकों का ध्यान भंग होता है। इससे सड़क दुर्घटना होने की आशंका रहती है। ऐसे में इस घातक गतिविधि को प्रतिबंधित करने के कठोर ट्रैफिक नियम लागू किये जाये.

सामाजिक परिवर्तन के लिए जातिगत नामों को जीवन से बाहर करना ही होगा. तभी समाज में एकरूपता आयेगी और समरसता बढ़ेगी. वैसे भी जिस आधार पर जातियां बनी थी वो परिपाटी अब गायब हो चुकी है. नाई, धोबी.कुम्हार, खाती, सुनार और अन्य को आज हम काम के आधार पर नहीं पहचान सकते. आज की पीढ़ी अपनी योग्यता और मन के अनुसार कार्य कर रही है. फिर इन सबकी जरूरत भी क्यों?

जातिवाद खत्म होगा तो देश की आधी से ज्यादा समस्याएं अपने अपने आप खत्म हो जाएगी. आज लिए गए छोटे-छोटे फैसले कल को स्वर्णिम बना सकते है. वैसे भी जाति ने इस देश को बार-बार बांटने की कोश्शि की है. यदि यह सच है तो सबसे पहली जरूरत इस बात ही है कि जाति के वर्चस्व को एक हद तक नष्ट कर दिया जाए. ईश्वर भी इस क्रूर प्रथा से नाराज़ है तो उसे और भी जल्दी खत्म किया जाना चाहिए.

—प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Comments · 201 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तु आदमी मैं औरत
तु आदमी मैं औरत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ईश्वरीय समन्वय का अलौकिक नमूना है जीव शरीर, जो क्षिति, जल, प
ईश्वरीय समन्वय का अलौकिक नमूना है जीव शरीर, जो क्षिति, जल, प
Sanjay ' शून्य'
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
Taj Mohammad
बाबा साहब अंबेडकर का अधूरा न्याय
बाबा साहब अंबेडकर का अधूरा न्याय
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जोशीला
जोशीला
RAKESH RAKESH
3275.*पूर्णिका*
3275.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
💐प्रेम कौतुक-518💐
💐प्रेम कौतुक-518💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हे प्रभू !
हे प्रभू !
Shivkumar Bilagrami
इश्क- इबादत
इश्क- इबादत
Sandeep Pande
Choose a man or women with a good heart no matter what his f
Choose a man or women with a good heart no matter what his f
पूर्वार्थ
"विकृति"
Dr. Kishan tandon kranti
बरस रहे है हम ख्वाबो की बरसात मे
बरस रहे है हम ख्वाबो की बरसात मे
देवराज यादव
निर्मोही हो तुम
निर्मोही हो तुम
A🇨🇭maanush
दीपावली
दीपावली
Deepali Kalra
डर डर के उड़ रहे पंछी
डर डर के उड़ रहे पंछी
डॉ. शिव लहरी
लाखों ख्याल आये
लाखों ख्याल आये
Surinder blackpen
🙅चुनावी पतझड़🙅
🙅चुनावी पतझड़🙅
*Author प्रणय प्रभात*
*जो कुछ तुमने दिया प्रभो, सौ-सौ आभार तुम्हारा(भक्ति-गीत)*
*जो कुछ तुमने दिया प्रभो, सौ-सौ आभार तुम्हारा(भक्ति-गीत)*
Ravi Prakash
दुनिया बदल गयी ये नज़ारा बदल गया ।
दुनिया बदल गयी ये नज़ारा बदल गया ।
Phool gufran
उनसे बिछड़ कर ना जाने फिर कहां मिले
उनसे बिछड़ कर ना जाने फिर कहां मिले
श्याम सिंह बिष्ट
अजनवी
अजनवी
Satish Srijan
आशिकी
आशिकी
साहिल
आज का बदलता माहौल
आज का बदलता माहौल
Naresh Sagar
अबला नारी
अबला नारी
Neeraj Agarwal
*खो दिया सुख चैन तेरी चाह मे*
*खो दिया सुख चैन तेरी चाह मे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बिछड़ा हो खुद से
बिछड़ा हो खुद से
Dr fauzia Naseem shad
नयनों मे प्रेम
नयनों मे प्रेम
Kavita Chouhan
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
वो मुझे रूठने नही देती।
वो मुझे रूठने नही देती।
Rajendra Kushwaha
Loading...