सामाजिक न्याय
मंच…. समतावादी कलमकार साहित्य शोध संस्थान
विषय…. सामाजिक न्याय
विधा….. गीत
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सदियों रहा जिन पर अन्याय।
कहां मिला उन्हें अब तक न्याय।।
जुल्म हजारों सहते रहते ।
मिला ना कभी सामाजिक न्याय।।
जाति भेद कभी धर्म लड़ाई।
कुछ लोगों ने आग लगाई।।
आरक्षण के नाम पै शोषण।
शिक्षा हो गई खुब कुपोषण।।
मंदिर पर अभी लगें हैं पेहरे।
बादल बहुजन पर है गहरे।।
खुलकर बोले तो हो दंडित।
हंसकर बोले तो हो दंडित।।
शादी नहीं रचाता पंडित।
मूंछ रखें तो सांसें खंडित।।
झूंठी चोरी में फसवाते।
सड़क पै नंगी औरत घूमाते।।
बच्चे खेलें मारें गोली ।
हक मांगे तो खून की होली।।
संविधान ने दी आजादी।
मिली नहीं अब तक आजादी।।
न्याय सामाजिक नहीं है मिलता।
नहीं फूल खुशियों का खिलता।।
आडम्बर संविधान पै भारी।
जातिवाद की जड़ हत्यारी।।
आओ कभी तो तुम मिल जाओ।
नफ़रत की दीवार गिराओ।।
सबको लेकर साथ चलेंगे।
सागर नया इतिहास गढ़ेंगे।।
सबको सामाजिक न्याय चाहिए।
हां हमको संविधान चाहिए।।
हम भी है इस देश के बच्चे।
हमें समान अधिकार चाहिए।।
ऊना,झांसी,हाथरस, सहारनपुर।
जैसा नहीं अब कांड चाहिए ।।
अब सामाजिक न्याय चाहिए।
हां हमको संविधान चाहिए।।
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जनकवि/बेखौफ शायर
डॉ. नरेश कुमार “सागर”
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इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित