सामरथ के दुख नाहिं गोसाईं
सामरथ के दुख नाहि गोसाईं।
रामखेलावन महतो अपना गांव के पूर्व जमींदार छोटन बाबू के खेती गृहस्थी के काज देखत रहे।छोटन बाबू लगभग सौ बीघा जमीन के मालिक रहै। हवेली आ कम्पाउण्ड मिला कै दूं बीघा में रहे। लगभग अढाइ बीघा में बगीचा रहै,जैय में तरह तरह के आम,जामून आ लुची के गाछी रहे। टाइम पर आम, जामून लुची खूब फरे।शेष जमीन पर धान गेहूं,तेलहन आ दलहन के खेती होय। खेती गृहस्थी के सभ काज राम खेलावन कराबै।जन मजदूर के बोइन भी रामखेलावन ही देवे।
छोटन बाबू खाली पंचायत के राजनीति करे। हालांकि कहियो वो मुखिया में न जीत लन। कोई कोई हुनकर लगुआ भगुआ वार्ड मेम्बर में जरूर जीत जाय।
आ वोइ वार्ड मेम्बर के माध्यम से वार्ड में परे वाला स्कूल के हेडमास्टर के खूब परेशान करें।स्कूल से चले वाला मध्याह्न भोजन , छात्रवृत्ति आ पोशाक योजना सभ में जबरदस्ती कमीशन लेबे।
छोटन बाबू,राम खेलावन के खेती गृहस्थी कराबे के बदले दरमाहा न देवे।वोकरा बदला में पांच बीघा जमीन देले रहे।जैमै दू बीघा जमीन के पूरा उपजा रामखेलावन के होय आ तीन बीघा बटाई पर। मतलब कि आधा उपज छोटन बाबू के।राम खेलावन भी अइ आमदनी से छोटन बाबू से ही दू बीघा जमीन खरीद ले ले रहे।राम खेलावन भी सुखित गर हो गेल रहे।
छोटन बाबू के छोटके परिवार रहें। अपने, घरवाली सुलोचना आ एगो खूब सुंदर गोर बेटी पिरिया।तहिना रामखेलावन के भी परिवार में अपने, घरवाली पारवती आ एगो खूब सुंदर श्यामला रंग के बेटा परेम।
पिरिया आ परेम गांव के स्कूल में पढ़े।परेम पढ़ें मे बड़ा तेज रहे।उ क्लास में फर्स्ट करें।पिरिया पढ़ें में मध्यम रहे।परेम, पिरिया के पढ़े में खूब मदद करें।पिरिया भी परेम के कापी, किताब, पेंसिल से मदद करें।दूनू साथे साथे खेलबो करे।चोर सिपाही,लुका छिपी,भगडिलो भगडिलो, राजा रानी। राजा रानी मे त परेम राजा आ पिरिया रानी बने।
मिडिल तक त दूनू अपना गांव में पढलक। हायर सेकंडरी स्कूल गांव से दो किलोमीटर दूर रहे।दूनू पैदलै स्कूल जाय। परेम क्लास टेन आ प्लस टू में भी फर्स्ट आयल।आ पिरिया सेकेंड डिवीजन से पास भेल।
अब डिग्री में परेम सीतामढ़ी के गोयनका कालेज में नाम लिखैलक।परंच नम्बर कम होय के कारण पिरिया के एडमिशन गोयनका कालेज में न हो सकल।पिरिया के एडमिशन राम सकल सिंह महिला कालेज, डुमरा में भे गेल।पिरिया कालेज के गर्ल्स होस्टल में रहे लागल।आ परेम गोयनका कालेज के हास्टल में रह के पढ़े लागल।
बीच बीच में दूनू के भेंट सीतामढ़ी मार्केट में होइत रहे।
परेम बीए राजनीति शास्त्र आनर्स में बिहार यूनिवर्सिटी में टाप रहल आ पिरिया समाजशास्त्र आनर्स फर्स्ट क्लास में पास कैलक।
पिरिया अब पटना में जाके वोमेन्स कालेज में एम ए में नाम लिखैलक।परेम एम ए में नाम न लिखा के यूपीएससी के तैयारी करे लागल। पटना के आइ ए एस तैयारी कराबे वाला कोचिंग सुपर फोर्टी में नाम लिखा लेलक।
जैइ दिन पिरिया के एम ए फाइनल के रिजल्ट निकलल।वैहै दिन परेम के युपीएससी के फाइनल रिजल्ट निकलल।जंहा पिरिया फर्स्ट क्लास से पास कैलक।
परेम आइएस में पांचवा स्थान पर रहे। एक दोसर के समाचार सुनि के दूनू खुश रहें।दूनू परिवार भी खूश रहे।
अब पिरिया घर पर रहे लागल।आ परेम ट्रेनिग में चल गेल।छोटन बाबू आ हुनकर घरबाली सुलोचना के पिरिया के शादी के चिंता सताबे लागल। एक रात दूनू गोरे पलंग पर लेटेल रहे। सुलोचना बोललन-न सुनै छी।सुत रहली कि!छोटन बाबू आंख मूंद ले कहलन-अब हमरा नींद कंहा अबै हैय।जेकरा घर में पढल लिखल जवान बेटी होतै।वोकरा बाप के आंख में नींद कंहा से अतै। सुलोचना बोललक-हां यौ।हमरो नींद न अबैय। झूठे के आंख मुंदले रहै छी। अंहा के नजर में पिरिया के लेल लड़िका न हैय।
छोटन बाबू कहलन-अब जर जमिंदार के धिया पुता पढबे कंहा करै छैय। इंटर बीए कैलै रहत।परंच योग्यता न रहै छैय। ज़मीदारी त हैय न।गुमाने टेढ रहैत हैय।अब अपना जिला में त न हैय। मुजफ्फरपुर, मोतिहारी में पता लगवै छी।कुछ दोस्त मुजफ्फरपुर आ कुछ मोतिहारी में भी हैय।बिहान होय दू। डायरी में मोबाइल नं खोजब। सुलोचना अपन हाथ छोटन बाबू के छाती पर रखैत बोललन-आबि सुत रहु। कोनो चिंता न करु। महादेव पर ध्यान रखूं। महादेव जे करथिन निके करथिन।छोटन बाबू कहलथिन-अंहु सो जाउ।
पिरिया अपना रूम में जगले पलंग पर परल रहे।अपन बाबू माय के खुसुर फुसुर सूनैत रहें।अपना बिआह के लेल बाबू माय के चिंता से चिंतित हो गैल।पिरिया के परेम के याद आबे लागल।वोकरा संग बितायल एक एक क्षण याद आवे लागल।आइ तक परेम के एक साथी के रूप में देखले रहै।आइ परेम,परेमी लागे लागल।जीवन साथी लागे लागल।पिरिया के नींद उड़ गेल। केना इ बात बाबू माय के कहब। बाबू माय की सोचत।फेर पिरिया सोचे लागल,इ केना हम सोच लेलीयै।परेम हमरा चाहबो करै कि न।कनिको हमरा से परेम करबो करै कि न।हमर याद अयबो करै छैय कि न।पिरिया अब सोचे लागल कि वो एसडीएम बनता एसडीएमीन के चाहता।वोकरे से विआह करता।आइ के जमाना में कपूल नौकरी चाहैत हैय।सेम नौकरी त सोना में सुगंध होय छैय।अइ सोचे में पिरिया इ भूला गेल कि हम दूनू दू जाति के छी।
वोहु में हमरे खेती गृहस्थी देखेवाला करपरदाज के बेटा ।माय बाबू परेम के स्वीकारत की नै।इ सोचते सोचते पिरिया के आंखि लग गेल।
घड़ी के सूई सुवह के आठ बजा रहल रहे। सुलोचना बोललक-पिरिया।पिरिया।उठे न।आठ बज गैलै।केबारी के ढक ढकाबे लागल। पिरिया आंख मिजैत बोलल-हां।मम्मी।उठ गेली। सुलोचना बोलल-ठीक।
परेम के ट्रेनिंग खतम भे गेल रहे।अब वो रोहतास सबडिवीजन के एसडीएम पद पर ज्वाइन कै लेलक।आइ रात में परेम के पिरिया के खूब याद आ रहल हैय।परेम अइ बीच में ट्रेनिंग के चलते एतै न बीजी भे गैल रहे के पिरिया के याद करे के फूरसत न रहे। लेकिन आइ बहुत याद आ रहल हैय। बचपन से लेकर पढ़ाई लिखाई तक के हर क्षण याद आबे लागल।एगो साथी के रूप में।परंच आइ पिरिया हृदय के धडकन लागै लागल।फैर दूनू दू जाति के छी।हमर बाबू पिरिया के बाबू के यहां खेती गृहस्थी देखेवाला करपरदाज।केना हम दूनू गोरे एक हो सकै छी।आइ हम एक एसडीएम छी।नियम कानून जनै छी। कानूनी रूप से हम आ पिरिया शादी कर सकै छी। हमर बाबू माय,पिरिया के बाबू माय आ समाज की कहतै।
इ सोचते सोचते परेम के नींद पड़ गेल। चपरासी के साहेब साहेब के आवाज से नींद खुलल।
आइ रात में अचानक परेम के मोबाइल घनघनायल।देखै त पिरिया के काल हैय।परेम बोलल-हेलो!पिरिया।उधर से आवाज आयल।हेलो-परेम।परेम तू बहुत याद आ रहल छा।ज्वाइन त कै लेला।तोहर बाबू जी हमरा बाबू जी कै बतैयब रहलन रहै।
परेम बोलल-हं।काल्हे रोहतास सबडिवीजन के एसडीएम पद पर ज्वाइन कैली हैय।
पिरिया बोललन-आब तू त बड़का आदमी हो गेला। एग सबडिवीजन के मालिक बन गेला। हमरा तू अब केना याद करबा।परंच तू त हमरा बड़ा याद आबैछा। हमारा रात में नींदो न आबैय हैय ।तू बड़ा याद आबैछा ।
परेम बोलल-एना ना कहा पिरिया।काल्हि रात में हमरो नींद न आयल।तोरे बारे में सोचैत रहै छी। हमरा इ न मालूम कि हमरा की हो रहल हैय।
पिरिया बोलल-अइ मर्म कै मर्द न जान सकै छैय। इ एगो स्त्री जानै छैय।परेम इ परेम छैय।
अब अहिना मोबाइल पर बात होय लागल परेम परवान चढ़े लागल।
तीन महीना बीत गेल।पिरिया के माय बाबू,पिरिया के बिआह लेल परेशान रहै।दूनू दोस्त से बात कैलक। लेकिन दूनू कहलक,पिरिया के लायक लड़का नै मिलत हैय।
इ बात जान के पिरिया मने मने खूब खुश होय।पिरिया मन में सोचलक कि आइ परेम से विआह के बारे में बात करब।आ मोबाइल पर परेम के नम्बर पर रिंग कैलक।
परेम बोलल-हेलो।पिरिया।पिरिया बोलल-हैलो!परेम। आइ एगो खास बात करब। हमरा पूरन विश्वास है कि तूं मान जायब।परेम बोललन-कहा न कि बात हैं!पिरिया बोललन-पहिले इ कहा कि तू हमरा से परेम करै छा कि न।परेम बोललक-कहा न।हम तोरा से बहुत परेम करै छी।
पिरिया बोलल-पहिले आइ लव यू बोला।तब कहब।
परेम बोललक-तू कहै छा त हम बोलै छी।आइ लव यू। अब बोला।
पिरिया खुश होके बोलल-आइ लव यू।आइ लव यू। हम तोरा से बिआह करै के चाही छी। तूं अब एगो सबडिविजन के मालिक त हैयबे करा।हमरो दिल के मालिक बन जा।
परेम बोलल-पिरिया तू पगला त न गेला हैय।इ केना होतै। तोहर बाबू माय मानतो।समाज की कहतैय।
पिरिया बोलल-हा।हम तोरा परेम में पागल भे गेल छी। देखा बाबू माय के हमरा पर छोड़ दा।ऐगो बात और सुन ला। बाबू माय नै यो मानतै,तैयो हम बिआह तोरे से करबो।हम दूनू गोरे बालिग छी।कानून हमरा साथ हैय।
परेम बोलल-कानून हमरा साथ हैय।इ बात हमहु जनै छी।इ त अंतिम बात हैय।परंच तू अपना बाबू माय के राजी करा।हमर बाबू माय त जे हम कहबै वोकरा मान लेथिन।
पिरिया बोललक-ठीक हैय।हम अपना बाबू माय के मना लेव। अच्छा।आइ लव यू।आ लाइन काट देलक।
परेम बड़ा खुश रहें।सोचे लागल पिरिया के बाबू माय पिरिया के खुब मानै हैय।पिरिया अकेली बेटी जे रहें।
पिरिया के बाबू माय पिरिया के शादी के बारे में बात करैत रहे। लेकिन लड़का न मिले के कारण चिंतित रहे। एक दिन सांझ में छोटन बाबू एगो पंचैती में लागल रहे।माय के अकेला पाय के पिरिया माय के घर में गेल। माय पलंग पर परल रहे।पिरिया बोलल-माय माथा दुखाय छौ कि। माय बोलल-हल्का हल्का।ला जांति देउ छीयो।पिरिया बोलल।माय एगो बात कहियो।माय कहलक-कहे न।
पिरिया बोललक-हम परेम से परेम करै छी।परेम हमरो से परेम करै छैय।
सुलोचना बोललक-इ तू कि कहै छिहे।अब परेम बड़का आदमी भे गेल हैंय।वो अब कलक्टर हैय।वो तोरा से बिआह कर तौ।
पिरिया कहलक-ह़।माय।वो हमरा से परेम करै हैय।वो हमरा से विआह करतैय।हम बतिआ ले ली छी।माय कहलक-ठीक आइ रात में तोरा बाबू जी से बतियाब।
परंच माय के बात सुनके पिरिया के बड़ा आश्चर्य लागल।
माय आइ जाति पाति के नाम न लेलक।आब बाबू जी की करथिन्ह।
रात में सुलोचना,छोटन बाबू से बोललन-कि भेल कोनो लड़का के पता चलल।छोटन बाबू कहलन-कंहा पता चलल। सुलोचना बोललक- एगो बात कहु। बिगडब त न। छोटन बाबू कहलन-सुलोचना। आइ तक हम न त़ोरा पर बिगड़ली हैय न तोहर कोनो बात कट ली हैय।
सुलोचना बोललक–हम पिरिया के लेल लडका ढूंढ ले ली हैय।लड़का कलक्टर हैय।
छोटन बाबू हंसैत कहलन-हं।हं।अपन परेम न।अरे वो बड़का आदमी बन गैल हैंय। एसडीएम हैय ।
सुलोचना बोललक-त कि भे गैले।अपन पिरिया परेम के परेम करै छैय।परेम भी पिरिया से परेम करै छैय। इ बात पिरिया हमरा बतैलक हैय।वो दूनू बिआह करै लैल राजी हैय।
छोटन बाबू बोललन-त हमहु तैयार छी।
इ बात सून के सुलोचना बोललक-हमरा आश्चर्य लगैय अ कि अंहा जाति पांति के मानै वाला विआह के लैल केना तैयार भे गैलीये।
छोटन बाबू बोललन-देखू। बड़का आदमी में जाति पाति न होय छैय। पहिले हम बड़का आदमी रही।अब परेम भी बडका आदमी भे गैले। अब व एसडीएम हैय। रामखेलावन भी एसडीएम के बाप बन गैलैय हैय।अब हम दूनू परिवार समान छी। अब शादी ब्याह में कोई बाधा न हैय।काल्हि खुनमी रामखेलावन बाबू से बात करब।
इ सभ बात पिरिया सुन लेकर आ राते में मोबाइल से परेम से बतिआ ले लेलक।दूनू खुश रहें।
इ सभ बात राते में सुलोचना पिरिया के बता देलक।
काल्हि दोपहर में मौका देख के छोटन बाबू सभ बात रामखेलावन बाबू के कहलन। रामखेलावन बाबू कहलन कि परेम जे चाहेत है वोहै होते।वोकर बात हम न काटब।
तय समय पर पटना के मौर्या होटल में परेम,पिरिया के मांग में सिंदूर भर देलन।पिरिया आ परेम एक भ गेल। पूरा समाज ऐइ क्षण के गवाह भेल।सभ कहें-सामरथ के दुख नाहि गोसाईं।
स्वरचित@सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।