सामने वाली खिड़की
हर सुबह जब मैं सो कर उठता था
और मेन गेट पर ताला खोलने आता था
अक्सर सामने की खिड़की खुली होती थी
और एक मुस्कुराहट भरी नमस्ते होती थी
ये क्रम लगभग रोजाना का होता था
क्योंकि उसी समय एक सब्जी वाला आता था
उन्हें उसी सब्जी वाले से सब्जी लेनी होती थी
इसलिए वो खिड़की पर ही खड़ी होती थी
अकस्मात ही वो मुस्कुराहट कालग्रसित हो गई
सुबह सवेरे की वो सभी क्रियाएं कहीं पर खो गयी
अब उस खिड़की से कोई नही झांकता है
और वो सब्जी वाला भी अब नही आता है
मेरा क्रम पहले की भांति बदस्तूर जारी है
ताला तो रोज खुलता है पर खिड़की खाली है।