Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Aug 2021 · 1 min read

सामना

सर उठाकर उसका सामना
किया जा सकता है!
आंखें मिलाकर उससे सच
कहा जा सकता है!!
वह एक राजनेता ही तो है
अवतार तो नहीं न!
उसके ख़िलाफ़ भी खड़ा
हुआ जा सकता है!!
Shekhar Chandra Mitra

Language: Hindi
490 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

हवा तो थी इधर नहीं आई,
हवा तो थी इधर नहीं आई,
Manoj Mahato
घनघोर इस अंधेरे में, वो उजाला कितना सफल होगा,
घनघोर इस अंधेरे में, वो उजाला कितना सफल होगा,
Sonam Pundir
आये जबहिं चुनाव
आये जबहिं चुनाव
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मैं इक निर्झरिणी नीर भरी
मैं इक निर्झरिणी नीर भरी
Kavita Chouhan
कविता
कविता
Shweta Soni
आहिस्ता उतरते - उतरते,
आहिस्ता उतरते - उतरते,
ओसमणी साहू 'ओश'
यकीं के बाम पे ...
यकीं के बाम पे ...
sushil sarna
3231.*पूर्णिका*
3231.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आदमी और गधा
आदमी और गधा
Shailendra Aseem
आज बाजार बन्द है
आज बाजार बन्द है
gurudeenverma198
■ लिख दिया है ताकि सनद रहे और वक़्त-ए-ज़रूरत काम आए।
■ लिख दिया है ताकि सनद रहे और वक़्त-ए-ज़रूरत काम आए।
*प्रणय*
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
7) “आओ मिल कर दीप जलाएँ”
7) “आओ मिल कर दीप जलाएँ”
Sapna Arora
दर्द भी तू है,हमदर्द भी तू है।
दर्द भी तू है,हमदर्द भी तू है।
Rj Anand Prajapati
*मस्ती भीतर की खुशी, मस्ती है अनमोल (कुंडलिया)*
*मस्ती भीतर की खुशी, मस्ती है अनमोल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कोई मरहम
कोई मरहम
Dr fauzia Naseem shad
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
किताब-ए-जीस्त के पन्ने
किताब-ए-जीस्त के पन्ने
Neelam Sharma
"सोच"
Dr. Kishan tandon kranti
भीड़ में रहते है मगर
भीड़ में रहते है मगर
Chitra Bisht
आरामदायक है भारतीय रेल
आरामदायक है भारतीय रेल
Santosh kumar Miri
छूटना
छूटना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
सृष्टि के कर्ता
सृष्टि के कर्ता
AJAY AMITABH SUMAN
वक्त कि ये चाल अजब है,
वक्त कि ये चाल अजब है,
SPK Sachin Lodhi
मन का मैल नहीं धुले
मन का मैल नहीं धुले
Paras Nath Jha
इन आँखों को भी अब हकीम की जरूरत है..
इन आँखों को भी अब हकीम की जरूरत है..
Tarun Garg
नयी सुबह
नयी सुबह
Kanchan Khanna
वक़्त के बारे में,एक कहावत मशहूर है,
वक़्त के बारे में,एक कहावत मशहूर है,
Mahesh Pushpad
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
कवि रमेशराज
संसार में कोई किसी का नही, सब अपने ही स्वार्थ के अंधे हैं ।
संसार में कोई किसी का नही, सब अपने ही स्वार्थ के अंधे हैं ।
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...