साधिये
मन साधिये तन भी सध जायेगा
पथ जीवन को इक दिन मिल जायेगा
काम से दूर यदि कामनाएं रहें
राग में भी वैराग मिल जायेगा
मूंद आँखे जरा ध्यान में बैठिये
साध साँसे अपने हृदय झाँकिए
मन के दर्पण में खुद को जरा देखिये
आपको अर्थ जीवन का मिल जायेगा
करो कर्म तुम हो समर्पित सदा
रखो प्रथम जीवन में उसको सदा
हो तप त्याग से ही सफल श्रम सदा
सुमन नेह मरू में भी खिल जायेगा
कर्म का आंकलन आत्म करने लगे
जब आभार में शीश झुकने लगे
ज्ञान का दीप मन में जब जगने लगे
स्वयं मर्म जीवन का मिल जायेगा
जब वाणी हृदय शोक हरने लगे
जब प्राप्य अप्राप्य ही लगने लगे
जब शुन्य शिखर में ही मिलने लगे
विजय मूल जीवन का मिल जाएगा