सादा जीवन उच्च विचार।
सादा जीवन उच्च विचार।
एक दिन कमाली जी भेट करे आयल रहथि।
हम पुछली -जमशैद साहब कि हाल चल हए।
कमाली जी बजलन-वो त कोरोने कालि मे कब्र मे चल गेलन।
सरदी खांसी रहइ।
हम नि: शब्द हो गेली।हम अतीत मे खो गेली।
बीपीएससी के अनुशंसा पर प्राथमिक शिक्षक के पद पर मध्य विद्यालय, फूलवारी मे ज्वाइन कैली रहे। विद्यालय मे दूटा आउर शिक्षक ज्वाइन कैलन।इसराफिल जी आ कमाली जी।माने कि तीन टा शिक्षक ज्वाइन कैली।उंहा पहिले सं काज करैत रहलन। प्रधानाध्यापक के रूप मे चौधरी जी आ सहायक शिक्षक के रूप में राय जी,जमशैद साहब आ नैना कुमारी।
ज्वाइन कैला के पहिलका विफेवार के प्रधान जी बतैलन आइ विद्यालय मे हाफ डे पढाई होयत आ काल्हि शुकर हए।काल्हि विद्यालय मे साप्ताहिक बंदी रहत।हम अचकचैली।शुकर के बंदी।वो बतैलन कि अपन विद्यालय उर्दू विद्यालय हए। शुकर के मुसलमान लोग जुम्मा के विशेष रूप सं नमाज पढैत हए। तइला शुकर के बंदी रहइ हए । हिंदी विद्यालय मे शनि के हाफ डे पढाई होय हए आ रविवार के बंदी रहइ हए ।हम न जानइत रही इ सब नियम कानून। हिंदी आ उर्दू स्कूल।परंच इसराफिल जी आ कमाली जी इ सभ जनैत रहलन।
सभ शिक्षक मे ढीला ढीली कुर्ता पायजामा आ साधारण चप्पल पहिरे वाला जमशैद साहब ज्यादा लोकप्रिय रहे।
गांव मे भी वो लोकप्रिय रहलन।हुनकर यही गांव मे ममहरा आ ससुरार रहे।मामी के वो ममानी बोलैत रहलन। वो गांव के हिंदू लोग स यथोचित संबंध राखैत। किनको नाना-मामा कहैत रहलन त किनको सार सं संबोधित करैत रहलन।सार-बहनोई मे मिथिला के परम्परागत गारी-गरियोअल करैत रहथि। वो विद्यालय के वो बैंक मैंसेजर रहत। गुच्छान्तर्गत माने मध्य विद्यालय से संबद्ध दूटा प्राथमिक विद्यालय के वेतन विपत्रों वोहै बनाबत आउर ट्रेज़री से लेके पेमेंट तक कराबथि। अइमे एक दिन ट्रेज़री में वितरण विपत्र जमा करे।दोसर दिन बैक से ड्राफ्ट लावे।तेसर दिन ड्राफ्ट पर प्रधानाध्यापक सं हस्ताक्षर करा के बैंक में जमा करावे। चौथा दिन बैंक सं भुगतान करावे। प्रधानाध्यापक आ जमशैद साहब कैशियर सं भुगतान लेके झोंरा मे रख के बैंक में एक जगह बैठ जाइत रहलन।सभ शिक्षक हुनका आगे अर्द्धवृताकार मे बैठ जाइत रहे। सबसे पहिले रूपया के गड्डी के गनतन। बाद मे भुगतान पंजी खोल के नाम पढतन आ नाम पुकार के भुगतान करैत आ नाम के आगा साटल राजस्व टिकट पर हस्ताक्षर लेइत रहलन। पैचा पालट के हिसाब करैत रहलन। बैक मे दोसरो गुच्छ विद्यालय के पेमेंट होइत रहे।शिक्षक सभ के भेंट घाट होइत रहे।।पुरनका शिक्षक सभ अपन पेमेंट ले के अपन अपन घर के रास्ता पकड़ लेथि।परंच जमशैद साहब नयका शिक्षक सभ के रोक के नाश्ता,चाय आ पान खुआ के बाजथि -आबि अंहा सभ अपन घर जाउ।नयका शिक्षक सभ के कोनो तरहक दीक्कत न होय से हुनकर चिंता रहैय। कोनो गांव के गार्जियन आइल।हुनका सभ के नयका शिक्षक सभ के परिचय कराबथि आ गर्व सं कहैत कि इ सभ बीपीएससी प्रतियोगिता परीक्षा पास क के शिक्षक बनलन हए। विद्यालय आ गांव के लेल प्रतिष्ठा के बात हए। विद्यालय के साफ सफाई, पढ़ाई आ कार्यालय कार्य सभ पर हुनकर नजर रहइन।बच्चा सभ के खुब पढाबैत आ खेलाबैत।हं,उर्दू विद्यालय के रहितो पढाई के माध्यम हिंदी भे गेल रहे।इ हालत उर्दू वा उर्दू के जानकार शिक्षक के अभाव के कारण हो गेल रहे। मुसलमान के बच्चा सभ उर्दू गांव के प्राइवेट मदरसा मे पढे। मदरसा सरकारी विद्यालय के शैक्षणिक अवधि के पहिले वा बाद में संचालित होइत रहे।
जमशैद साहब नयका शिक्षक सभ के वेतन विपत्र के तैयार करनाइ के साथ लेखा बही के संधारण संगे कार्यालय कार्य के करे के सिखावथि।आ बोलतन कि आगे अंहा सभ के काज देत। अंहा सभ उच्च योग्यताधारी छी। उच्च पद तक जायब।जमशैद साहब सादा जीवन आ उच्च विचार में विश्वास राखथि।
कमाली जी टोकलन -दयानंद बाबू।कंहा खो गेली।हम कहलियन जमशैद साहब मे खो गेली।केते निक आदमी रहतन जमशैद साहब।कमाली जी बजलैन -हं।हुनका सन आदमी आबि मिलैत कंहा हए।हमरो वो याद अबै हति।
हम पुछली -आइ कालि अंहा कंहा पोस्टेड छी।कमाली जी बजलैन – मध्य विद्यालय,हुसैना मे हेडमास्टर छी।
हम पुछली -इसराफिल जी कंहा हतन।
कमाली जी बजलैन -वो मध्य विद्यालय परिहार मे हतन।
हम पुछली -प्रधानाध्यापक चौधरी जी कंहा हति।
कमाली जी बजलैन -हमरा न पता हैय।
हम पुछली -राय जी कंहा हतन।
कमाली जी बजलैन -वो त स्वर्ग सिधार गेलन।
हम कहली -रायो जी निक लोग रहथि।
कमाली जी बजलैन -हं।
हम पुछली -नैना जी कंहा हतिन।
कमाली जी बजलैन -रिटायर्ड होके घर पर हतन।
हम पुछली -जमशैद साहब के बेटी -बेटा के कि हाल चाल हए।
कमाली जी बजलैन -बेटी के त बिआह हो गेलइ।आ बेटा उच्च शिक्षा प्राप्त क रहल हए।
नास्ता पानी क के कमाली जी चल गेलन।आइ हम प्रधानाध्यापक से रिटायर्ड होके जीवन बिता रहल छी।परंच जमशैद साहब के याद न गेल। वो धार्मिक रहतन पर कट्टर नइ रहथि। रमजान मे रोज दिन गांव मे के मस्जिद में टिफिन में इसराफिल जी आ कमाली जी के संगे जाइत रहलन। हुनकर मधुर व्यवहार , सादा जीवन आ उच्च विचार मन मे याद रह गेल।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।