सादगी
सादगी का तेरी यहां
कोई सम्मान करे
ऐसा समाज मे आजकल
कोई नजर आता नही ।
अपनी चालाकियों से कोई
तेरी शराफत का फायदा न उठाये
ऐसा निस्वार्थी शख्स
अब जहन मे आता नही ।
जरूरतों मे तेरी कोई
आवाज़ पे चला आये
ऐसा मददगार इन्सान
इस शहर मे अब रहता नही ।
सकून से तुझे कोई जीने दे
विश्वास के तेरे टुकड़े न करे
ऐसा समझदारी का रिश्ता
खुदा अब बनाता नही ।।
राज विग