सादगी
सादगी से परिपूर्ण तू
लाखों में एक है
जिसका कोई मोल नहीं
वह अनमोल रतन है तू
कठोरता जिसका स्वभाव नहीं
सरलता की तू मूरत है
जिसका कोई माली नहीं
उस बगीचे का तू खूबसूरत फूल है
निंदा जिसकी आदत नहीं
मुस्कुराहट उसकी पूंजी है
जिसका कोई तोड़ नहीं
वह गुरूर है तू
देख अपने आप को
क्या खुदा ने तुझे बनाया है
शब्दों में संजोया है
लफ्जों में उतारा है