सादगी की बात करें
चमक-धमक से परे सादगी की बात करें
हाथों में हाथ डाल, दोस्ती की बात करें
उखड़ती-ठहरती साॅंसें रूक रहीं बेकल
जरा लग जाओ गले तिश्नगी की बात करें
ऊॅंचे भवन की चमक ऑंख मूॅंद देती है
माॅं के ऑंगन में चल ताज़गी की बात करें
झिझकते मिल रहे शब्दों का आवरण बदलें
बिखरते रिश्तों में बेरूखी की बात करें?
मुॅंह छुपाते मिले हैं अपने-बेगाने भी
पीढ़ियाॅं साथ बैठें, ज़िंदगी की बात करें
बहुत हैं बीत गये साल अबके मिल भी लो
ख़लिश से दूर आओ दिल्लगी की बात करें
स्वरचित
रश्मि लहर