साथ है मेरे सफर में, ये काँटें तो अभी तक
दामन मेरा नहीं छोड़ा, इन मुसीबतों ने अभी तक।
साथ है मेरे सफ़र में, ये काँटें तो अभी तक।।
दामन मेरा नहीं छोड़ा————————।।
क्या बुरा किया है किसी का, प्यार ही मांगा है सबसे।
क्यों मुझसे इतनी नफरत, करते हैं लोग अभी तक।।
दामन मेरा नहीं छोड़ा————————–।।
ऐसा नहीं कि मैंने कभी भी, पसीना नहीं बहाया है।
फिर भी मेहनत जितना फल, मुझे नहीं मिला अभी तक।
दामन मेरा नहीं छोड़ा——————————।।
जिसका भी मुझपे था अहसान, सूद समेत चुका दिया।
फिर भी क्यों मुझको कर्जदार, कहते हैं लोग अभी तक।।
दामन मेरा नहीं छोड़ा—————————-।।
अब तो बदल लिया है, मैंने भी अपना दिल-ओ- शहर।
फिर भी क्यों रूठा है मुझसे, मेरा नसीब अभी तक।।
दामन मेरा नहीं छोड़ा—————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)