साथ वही है।
साथ वही जो
मन मधुबन को
सुरभित और पल्लवित कर दे
साथ वही जो
हृदय अंक को
प्रेम के आलिंगन से भर दे।
हाथों के खालीपन
को जो पकड़ रखे दुविधा के
क्षण में
साथ वही जो
जलते दावानल को
अश्रु मेघ से शीतल कर दे।
गोविन्द मोदी
zeemodi@yahoo. com