साथ तुम्हारा
थोड़ी देर का
साथ तुम्हारा
वो आतुर नज़रों का
पहला परिचय..
एक अन्जानी सी
खुशबू का
अंर्तमन पर छा जाना!
अधरों का चुपके से..
अपरिमित प्रेम का
कोना पकड़कर,
शुकराना कर जाना..
एक छोटी सी
साॅंझ का!
क्षितिज पर
रूक जाना
वो थोड़ी देर का
साथ तुम्हारा..
कितना याद आता है ना?
स्वरचित
रश्मि लहर