साथी
जीवन के सफ़र में
उतार चढ़ाव तो हैं
न चाहते हुए भी कदम
वहां बढ़ जाते हैं
जहाँ कोई अपने भावों से
मन मोह लेता है
धीरे धीरे मन में उतार कर
अपना मुझे कर लेता है
वही साथी जो मैं ढूंढता हूँ
वही प्यार का एक निशां
–प्रतीक
जीवन के सफ़र में
उतार चढ़ाव तो हैं
न चाहते हुए भी कदम
वहां बढ़ जाते हैं
जहाँ कोई अपने भावों से
मन मोह लेता है
धीरे धीरे मन में उतार कर
अपना मुझे कर लेता है
वही साथी जो मैं ढूंढता हूँ
वही प्यार का एक निशां
–प्रतीक