“” साथियों साथ चलें ,होंगे फिर सबके भले””
मिट जाए सब द्वेष, न हो कभी भी क्लेश।
बनाएं ऐसा ही हम वेश, बढ़ेगा अपना प्यारा देश।
साथियों साथ चलें ,होंगे फिर सबके भले।।
जो कोई भी भटका हुआ है, अज्ञान के कारण अटका हुआ है।
उधेड़बुन में लटका हुआ है, वह भी ना हमको तो खले।
साथियों साथ चले ,होंगे फिर सबके भले।।
पास बुलाए गले लगाएं, पथ उसका प्रशस्त करें।
उस को समझाएं ज्ञान बढ़ाए, अज्ञान तभी तो उसका टले।।
साथियों साथ चलें, होंगे फिर सबके भले।।
तन मन को सजाएं ,राष्ट्रप्रेम के गीत ही गाएं।
घर-घर में अनुनय सबके ही, फिर खुशियों के दीप जले।
साथियों साथ चलें, होंगे फिर सबके भले।।
राजेश व्यास अनुनय