सात रश्मियों से सजे , रथ पर हुये सवार
सात रश्मियों से सजे , रथ पर हुये सवार
सूर्य देव मिलने चले, देखो शनि के द्वार
आज उत्तरायण हुए ,बदली अपनी चाल
और मकर में आ गये, जीवन के आधार
खिचड़ी तिल का कर रहे, आज सभी जन दान
कमा रहे हैं पुण्य भी, कर गंगा स्नान
और पतंगें कर रही, हैं नभ का श्रृंगार
संक्रांति का पर्व करे, हम सबका कल्यान
15-01-2015
डॉ अर्चना गुप्ता