सात के पहाड़े में पूरे जीवन के दर्शन
होते है जब सात वर्ष के,बचपन की शुरुआत होती है।
होते चौदह वर्ष के,जवानी की झलक दिखाई देती हैं।।
इक्कीस वर्ष के होते ही,शादी की उम्र होने लगती है।
अठ्ठाइस की उम्र में ,संतान प्राप्ति होने ही लगती है।।
पैंतीस की उम्र आते अपना सुखी संसार तुम बसाओ।
बयालीस की उम्र आते कुछ,मस्ती पर लगाम लगाओ।।
उन्नचास के आते ही,बुढ़ापे के बुरे स्वप्न तुम दिखाओ।
छप्पन साठ के बीच सेवा निवृत्ति के पास तुम जाओ।।
तरेसट की उम्र तक सारी जिम्मेदारी पूरी करनी होती है।।
पहुंचते हैं जब सत्तर तक संसार से विदा होने की नौबत होती है।
यही पर सात के पहाड़े की जीवन की कहानी समाप्त होती है।
इससे जीवन में शिक्षा लो जो मनुष्य के बड़े काम की होती है।।
अगर अच्छी लगे ये रचना तुमको इसको आगे तुरंत बढ़ाओ।
सात के पहाड़े से जीवन का क्या मेल है सबको खूब सुनाओ।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम