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9 Jan 2021 · 1 min read

साजन

कह-मुकरी

साजन

लिपटे तन मन भर दे स्पंदन
कंपित अधरों पर मृदु चुंबन
झंकृत हो जाते प्राणों के तार
अंतर्मन शीतल सौरभ संसार
सखी री साजन?नहीं री संदली पवन!

सहला कोमल कपोल चुपके
भीनी ख़ुशबू से ये काया महके
खेले बालों से नटखट उँगलियाँ
चंचल मनवा उड़े ज्यूँ तितलियाँ
सखी री संदली पवन?नहीं री साजन!

रेखा ड्रोलिया
कोलकाता

Language: Hindi
3 Likes · 9 Comments · 293 Views
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