साजन बिन सावन फीका
***सावन बिन सावन फीका***
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आँखों में मस्ती माथे पर टीका
तुम बिना साजन सावन है फीका
रिमझिम बारिश मौसम है सुहाना
खाली बाँहें ,यह कैसा सलीका
शीत पवन का शीतल सा झौंका
संभलने का न दे जरा सा मौका
दिल की सदाएँ तुम्हें ही पुकारे
ढूँढें निगाहें कहाँ लगा नाका
सज संवर के चौखट पे खड़ी हूँ
सीने से लगा लो, किसने रोका
मनसीरत मेघों मे जा छिपे हो
तन्हाई ने हैं झुकाई पताका
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)