सागर के मोती की तलाश है
सागर के मोती की
तलाश है
सागर की नहीं
पर क्या
सागर में उतरे बिना
सागर की गहराई नाप पाना
संभव है
सागर की तलहटी तक
पहुंचे बिना
क्या सागर के अंतिम छोर की
लंबाई नापना सरल है
मछली को आंख से दिखता नहीं
मछली को न आता हो तैरना तो
क्या मछली का सागर के जल की लहरों के बीच
रहना सहज है
लहर का लहर से मिलना फिर
आगे बढ़ना
लहर का लहर को बचाना
लहर का लहर को डूबाना
सूर्यास्त से पहले ही
रात का भ्रम पैदा करना और
आसमान में सूरज को
उगाने के लिए
चांद का सागर में
डूब जाना
क्या यह प्रकृति की कहानी
पर्याप्त है
किसी को यह समझाने के
लिए कि
जीवन की यात्रा अनंत है पर
इसमें स्थाई कुछ भी नहीं
बस पानी के न जाने क्या बुदबुदाते
बुलबुले से हैं
बस जो एक बार फूटे तो
कुछ भी नहीं बचता।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001