Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2018 · 3 min read

साक्षात्कार- भूरचंद जयपाल (कवि)- ज़िन्दगी अगर शायरी होती (काव्य संग्रह)

भूरचंद जयपाल जी की पुस्तक “ज़िन्दगी अगर शायरी होती (काव्य संग्रह)” हाल ही में साहित्यपीडिया पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित हुई है| यह पुस्तक विश्व भर के ई-स्टोर्स पर उपलब्ध है| आप उसे यहाँ दिए गए लिंक पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं- Click here

1) आपका परिचय?
मैं भूरचंद जयपाल स्वैच्छिक सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय, कानासर, बीकानेर (राजस्थान) मेरी राजकीय सेवा का प्रारम्भ 1996 में व्याख्याता पद पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, राजलदेसर, चूरू (राजस्थान) से हुआ। दो वर्ष प्रधानाचार्य पद पर कार्य करते हुए परिस्थितिवश 13 जलाई 2017 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को धारण किया।

2)आपको लेखन की प्रेरणा कब और कहाँ से मिली? आप कब से लेखन कार्य में संलग्न हैं?
मित्र-मण्डली से ही प्रेरणा मिली और 1990-91में ‘घबराहट’ कविता से लेखन कार्य प्रारम्भ किया।

3) आप अपने लेखन की विधा के बारे में कुछ बतायें?
मेरा लेखन सायास बहुत कम है। मन में जो विचार आते है, उनको ही लिपिबद्ध करने का प्रयत्न है। स्वान्त सुखाय लिखना ही मेरी प्रवृति और प्रकृति है।

4) आपको कैसा साहित्य पढ़ने का शौक है? कौन से लेखक और किताबें आपको विशेष पसंद हैं?
विशेषत: आध्यात्मिक साहित्य पढ़ने का शौक है। तुलसीदास, सूरदास, रसखान, रहीम, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘ निराला’
कामायनी और रामचरित मानस

5) आपकी कितनी किताबें आ चुकी है?
यह प्रथम काव्य संग्रह है। भाषा सहोदरी सोपान 4 एवं अभिव्यक्ति तथा साहित्य उदय साझा संकलन में कुछ रचनाऐं प्रकाशित है।
रेवड़ (कविता) 2004 में डॉ. तारादत्त’ निर्विरोध ‘ द्वारा सम्पादित कविता का सच मे प्रकाशित) कविता कोई कैसे लिख दूं (मुक्तक) 2005 में श्री हेमन्त शेष द्वारा सम्पादित जलती हुई नदी में प्रकाशित)मिलजुलकर रहना (बालगीत) 2005 में डॉ. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी: रत्नेश’ द्वारा सम्पादित आसमान की सैर में प्रकाशित) शिविरा प्रकाशन, शिक्षा विभाग राजस्थान, बीकानेर द्वारा प्रकाशित एवं 1991 में अम्बेडकर शताब्दी समारोह (बीकानेर) के अवसर पर प्रकाशित स्मारिका में ‘मण्डप में पहुंचने से पहले ‘शीर्षक कविता प्रकाशित

6) प्रस्तुत संग्रह के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
प्रस्तुत संग्रह में मेरे अंतस में आये विचार एवं जीवनानुभव से संबद्ध विचार संकलित हैं। शायद इसे पढकर पाठक अपनापन महसूस करें।

7) ये कहा जा रहा है कि आजकल साहित्य का स्तर गिरता जा रहा है। इस बारे में आपका क्या कहना है?
ये व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है। लेखन का उद्देश्य अंतरमन में छिपे भावों को उजागर करना होता है बशर्ते उसमें सर्वहित निहित हो।
चयन हमें करना है, प्रोत्साहन अच्छे साहित्य को दे ताकि निम्नतर साहित्य को हतोत्साहित किया जा सके।

8) साहित्य के क्षेत्र में मीडिया और इंटरनेट की भूमिका आप कैसी मानते है?
वर्तमान समय में मीडिया एवं इंटरनेट साहित्य को प्रोत्साहित करने का सशक्त माध्यम बन चुके हैं। काव्य-चर्चा एवं लेखन के लिए सशक्त मंच का कार्य करते हैं। इनकी उपादेयता सर्वविदित है।

9) हिंदी भाषा मे अन्य भाषाओं के शब्दों के प्रयोग को आप उचित मानते हैं या अनुचित?
हिंदी भाषा भावाभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। विभिन्न भारतीय भाषाओं एवं अन्य भाषाओं के प्रचलित शब्दों का इस्तेमाल किया जाना हिंदी भाषा को सशक्त एवं समृद्ध बनाने में एक अच्छी पहल कहा जा सकता है। हिंदी भाषा में अन्य भाषाओं के शब्दों को आत्मसात करने की शक्ति विद्यमान है।

10) आजकल नए लेखकों की संख्या में अतिशय बढ़ोतरी हो रही है। आप उनके बारे में क्या कहना चाहेंगे?
भाषा के संवर्धन एवं विकास के लिए यह अच्छी बात है। इन्हें अपने आप को स्थापित करने का प्रयत्न करना चाहिए।

11) अपने पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
अच्छा साहित्य पढ़े, मनन करें और अच्छी बातों को अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न करें। ।

12) साहित्यापीडिया पब्लिशिंग से पुस्तक प्रकाशित करवाने का अनुभव कैसा रहा? आप अन्य लेखकों से इस संदर्भ में क्या कहना चाहेंगे?
बेहद सुखद अनुभव रहा। प्रकाशक महोदय का अपनापन एवं आत्मीयतापूर्ण व्यवहार दिल को छू गया। अन्य काव्य प्रवीण रचनाकारों को भी प्रकाशन हेतु प्रकाशक महोदय से सम्पर्क करना चाहिए।

Category: Author Interview
Language: Hindi
6 Likes · 684 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बिना मांगते ही खुदा से
बिना मांगते ही खुदा से
Shinde Poonam
मुझको निभाना होगा अपना वचन
मुझको निभाना होगा अपना वचन
gurudeenverma198
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
अब   छंद  ग़ज़ल  गीत सुनाने  लगे  हैं हम।
अब छंद ग़ज़ल गीत सुनाने लगे हैं हम।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
बदल सकता हूँ मैं......
बदल सकता हूँ मैं......
दीपक श्रीवास्तव
*भव-पालक की प्यारी गैय्या कलियुग में लाचार*
*भव-पालक की प्यारी गैय्या कलियुग में लाचार*
Poonam Matia
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
Paras Nath Jha
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
Lokesh Sharma
खोटा सिक्का
खोटा सिक्का
Mukesh Kumar Sonkar
बाल कविता: तितली रानी चली विद्यालय
बाल कविता: तितली रानी चली विद्यालय
Rajesh Kumar Arjun
सत्य = सत ( सच) यह
सत्य = सत ( सच) यह
डॉ० रोहित कौशिक
"सन्त रविदास जयन्ती" 24/02/2024 पर विशेष ...
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
तुम्हारा स्पर्श
तुम्हारा स्पर्श
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
Subhash Singhai
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
𑒔𑒰𑒙𑒳𑒏𑒰𑒩𑒱𑒞𑒰,𑒢𑒱𑒖 𑒮𑓂𑒫𑒰𑒩𑓂𑒟,𑒢𑒱𑒖 𑒨𑒬𑒑𑒰𑒢 𑒂 𑒦𑒹𑒠𑒦𑒰𑒫 𑒏 𑒖𑒰𑒪 𑒧𑒹 𑒅𑒗𑒩𑒰𑒨𑒪 𑒧𑒻
𑒔𑒰𑒙𑒳𑒏𑒰𑒩𑒱𑒞𑒰,𑒢𑒱𑒖 𑒮𑓂𑒫𑒰𑒩𑓂𑒟,𑒢𑒱𑒖 𑒨𑒬𑒑𑒰𑒢 𑒂 𑒦𑒹𑒠𑒦𑒰𑒫 𑒏 𑒖𑒰𑒪 𑒧𑒹 𑒅𑒗𑒩𑒰𑒨𑒪 𑒧𑒻
DrLakshman Jha Parimal
जिन्होंने भारत को लूटा फैलाकर जाल
जिन्होंने भारत को लूटा फैलाकर जाल
Rakesh Panwar
प्रेम : तेरे तालाश में....!
प्रेम : तेरे तालाश में....!
VEDANTA PATEL
स्वयं को बचाकर
स्वयं को बचाकर
surenderpal vaidya
इश्क़ के नाम पर धोखा मिला करता है यहां।
इश्क़ के नाम पर धोखा मिला करता है यहां।
Phool gufran
Some friends become family, & then you can't get rid of 'em.
Some friends become family, & then you can't get rid of 'em.
पूर्वार्थ
नानी का घर
नानी का घर
सुरेश ठकरेले "हीरा तनुज"
3144.*पूर्णिका*
3144.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
झुकना होगा
झुकना होगा
भरत कुमार सोलंकी
"जलाओ दीप घंटा भी बजाओ याद पर रखना
आर.एस. 'प्रीतम'
हम बेखबर थे मुखालिफ फोज से,
हम बेखबर थे मुखालिफ फोज से,
Umender kumar
*हनुमान (बाल कविता)*
*हनुमान (बाल कविता)*
Ravi Prakash
"सुनो"
Dr. Kishan tandon kranti
हिम्मत कभी न हारिए
हिम्मत कभी न हारिए
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
Loading...