साक्षात्कार- डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव- लेखक, कथा-अंजलि (कथा संग्रह)
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव जी की पुस्तक "कथा-अंजलि (कथा संग्रह)" हाल ही में साहित्यपीडिया पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित हुई है| यह पुस्तक विश्व भर के ई-स्टोर्स पर उपलब्ध है| आप उसे यहाँ दिए गए लिंक पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं- Click here
इसी पुस्तक के सन्दर्भ में टीम साहित्यपीडिया के साथ उनका साक्षात्कार यहाँ प्रस्तुत है|
1) आपका परिचय?
मैं डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव सीनियर कंसल्टेंट पैथोलोजिस्ट व माइक्रोबाइलोजिस्ट, पुत्र स्व श्री प्रेमचन्द्र प्रसाद वर्मा, इंचार्ज ब्लड बैंक जिला चिकित्सालय सीतापुर में सेवारत हूँ।
2)आपको लेखन की प्रेरणा कब और कहाँ से मिली? आप कब से लेखन कार्य में संलग्न हैं?
मुझे बचपन से अपने पिता स्व प्रेम चन्द्र प्रसाद वर्मा जी से प्रेरणा प्राप्त हुई। हिन्दी साहित्य में प्रारम्भ से रुचि थी । मेरे पिता एवंमाता जी सदैव धार्मिक साहित्य का अध्ययन करते थे। जिससे मुझे भी रुचि हुई । मैंने 15 वर्ष की आयु में कविता एवं कहानियाँ लिखना शुरू किया।
3) आप अपने लेखन की विधा के बारे में कुछ बतायें?
मुझे प्रकृति ने हमेशा प्रेरित किया। ग्रामीण परिवेश में चिकित्सा विज्ञान का अद्भुत संगम अत्यंत सुखद है, प्रेरणादायी है, कहीं -कहीं कुरीतियों पर भी कुठारघात किया है, दर्शनशास्त्र का प्रयोग अत्यंत सुगमता से किया है।
4) आपको कैसा साहित्य पढ़ने का शौक है? कौन से लेखक और किताबें आपको विशेष पसंद हैं?
हिन्दी साहित्यकारों मे प्रेमचंद जी मेरे आदर्श हैं। मुझे खड़ी बोली की हिन्दी रचनाएँ प्रभावित करती हैं। गोदानउपन्यास ,कफन , पंच परमेश्वर आदि समस्त कहानिया प्रभावित करती हैं।
5) आपकी कितनी किताबें आ चुकी है?
कथा -अंजलि , कथा संग्रह मेरी प्रथम पुस्तक है।
6) प्रस्तुत पुस्तक के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
कथा अंजलि एक उत्कृष्ट कहानियों का संग्रह है।
7) ये कहा जा रहा है कि आजकल साहित्य का स्तर गिरता जा रहा है। इस बारे में आपका क्या कहना है?
लेखन का गिरता स्तर अत्यंत खेद जनक है।
8) साहित्य के क्षेत्र में मीडिया और इंटरनेट की भूमिका आप कैसी मानते है?
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म साहित्य के उत्थान के लिए प्रशंसनीय उपलब्धि है।
9) हिंदी भाषा मे अन्य भाषाओं के शब्दों के प्रयोग को आप उचित मानते हैं या अनुचित?
हिन्दी साहित्य मे अन्य भाषा के शब्दों का प्रयोग अर्थ सहित ज्ञान वर्धक एवं उचित है।
10) आजकल नए लेखकों की संख्या में अतिशय बढ़ोतरी हो रही है। आप उनके बारे में क्या कहना चाहेंगे?
नयी युवा पीढ़ी को आगे आनाहिन्दी साहित्य के लिए शुभ संकेत है। निरंतर प्रयास से पूर्णत्व व आत्मविश्वास को प्राप्त किया जा सकता है।
11) अपने पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
सुंदर ज्ञान वर्धक साहित्य पाठक के मन मे जिज्ञासा उत्पन्न करता है, जो पाठक के मस्तिस्क की भूख को शांत करता है, तर्क शक्ति का विकास करता है, अत अच्छा सरस साहित्य पढ़ें।
12) साहित्यपीडिया पब्लिशिंग से पुस्तक प्रकाशित करवाने का अनुभव कैसा रहा? आप अन्य लेखकों से इस संदर्भ में क्या कहना चाहेंगे?
साहित्यपीडिया एवं श्री अभिनीत मित्तल जी का आभार व्यक्त करता हूँ, उनके सहयोग से एक कठिन कार्य अत्यंत सुगमता से सम्पन्न हो गया। धन्यवाद।