साकी सुरा पिला दे
साकी सुरा पिला दे,
सब गम मे’रे मिटा दे,
कर इस नशे से’ पागल,
खुद से मुझे मिला दे,
हैं आंख में बसा जो,
वो अक्स तू मिटा दे,
विरहन के’ शुष्क पल्लव,
तू बन हवा गिरा दे,
है प्यार सच का’ मेरा
उसका तू’ अब सिला दे,
पुष्प ठाकुर
साकी सुरा पिला दे,
सब गम मे’रे मिटा दे,
कर इस नशे से’ पागल,
खुद से मुझे मिला दे,
हैं आंख में बसा जो,
वो अक्स तू मिटा दे,
विरहन के’ शुष्क पल्लव,
तू बन हवा गिरा दे,
है प्यार सच का’ मेरा
उसका तू’ अब सिला दे,
पुष्प ठाकुर