साईं
बदन के शाख पे कुछ तितलियां बैठी थी साईं …
नाम मुहब्बत था, किसी बहेलिए ने उड़ा दी है साईं
अब सूखता है बदन ए शाख बुला दो न साईं …
बर्फ सा कुछ जमा है पलकों के कोर पे
एक फूंक में उसको पिघला दो न साईं
~ सिद्धार्थ
बदन के शाख पे कुछ तितलियां बैठी थी साईं …
नाम मुहब्बत था, किसी बहेलिए ने उड़ा दी है साईं
अब सूखता है बदन ए शाख बुला दो न साईं …
बर्फ सा कुछ जमा है पलकों के कोर पे
एक फूंक में उसको पिघला दो न साईं
~ सिद्धार्थ